मानो खिड़की ना हो, रंगभरी दुनिया का न्यौता हो |
क्योंकि जीवन में कुछ अलग करना हो, कुछ अनोखा करना हो,
तो रास्ता दरवाजे से होकर नहीं जाता।
दरवाजा तो जाना पहचाना है,आसान है।
इसलिए जनाब ! जब कुछ अलग करने का, Risk लेने का, अपनी मनमर्जी करने का साहस आ जाए,
दरवाजा तो जाना पहचाना है,आसान है।
इसलिए जनाब ! जब कुछ अलग करने का, Risk लेने का, अपनी मनमर्जी करने का साहस आ जाए,
तो खिड़की ढूंढिएगा, दरवाजा नहीं।।
पर खिड़की के पार न जाने क्या होगा,
जमीन मिलेगी या आसमां होगा ?
या आग का दरिया होगा और डूब के जाना होगा ?
क्योंकि यह बात सिर्फ इश्क के लिए ही सच नहीं,
उस हर चीज के लिए है जिसे चाहना तो आसान,
पर खिड़की के पार न जाने क्या होगा,
जमीन मिलेगी या आसमां होगा ?
या आग का दरिया होगा और डूब के जाना होगा ?
क्योंकि यह बात सिर्फ इश्क के लिए ही सच नहीं,
उस हर चीज के लिए है जिसे चाहना तो आसान,
पर पाना उतना ही मुश्किल होगा ।।
क्या यूं ही तकते तकते सवेरा होगा?
हौसला तो तुम्हें ही दिखाना होगा,
वो एक कदम तो तुम्हें ही बढ़ाना होगा ।
तो क्या सोचा, क्या करोगे तुम आख़िर?
क्या यूं ही तकते तकते सवेरा होगा?
हौसला तो तुम्हें ही दिखाना होगा,
वो एक कदम तो तुम्हें ही बढ़ाना होगा ।
तो क्या सोचा, क्या करोगे तुम आख़िर?
क्या तोड़ पाओगे निश्चिति की बेड़ियां?
और कूद पड़ोगे संभावनाओं की सागर में, प्रयत्नशीलता की पोटली लेकर?
या कस के बंद कर दोगे वो खिड़की और सोचोगे जीवनभर,
या कस के बंद कर दोगे वो खिड़की और सोचोगे जीवनभर,
की कूद जाते तो न जाने जीवन का रंग आज क्या होता?
-सुगंध
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